- Mohd Zubair Qadri
घंटाघर स्थित पार्क का सौंदर्यीकरण, शकील बदायूंनी ने जिले को दिलाई दुनिया में पहचान, डीएम

यूपी बदायूं। शहर में घंटाघर पर स्थित पार्क शकील बदायूंनी किसी पहचान के मोहताज नहीं। उन्होंने अपनी लेखनी के हुनर से पूरी दुनिया को वाह-वाह करने को मजबूर कर दिया। जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा के साथ बुधवार को घंटाघर पहुंचकर शकील बदायूंनी पार्क का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में शकील बदायूँंनी की जिंदगी पर रोशनी डाली गई।
डीएम ने कहा कि बड़े हर्ष का विषय है कि शकील बदायूनी पार्क का पुनः जीर्णोद्धार हो रहा है, इसका औपचारिक उद्घाटन बाद में किया जाएगा, बदायूं शहर सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए जाना जाता रहा है, उसमें एक हस्ती शकील बदायूनी साहब भी थे, शकील बदायूँनी ने जिले को दुनिया में पहचान दिलाई है, उनकी स्मृति में इस पार्क को बना हुआ है। पार्क की हालत थोड़ी ठीक नहीं थी, इसका जीर्णाेद्धार कराया गया है। इसको संवारकर रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है, केवल सरकारी महकमे की नहीं है। इस पार्क के पड़ोस के दुकानदार भाई-बंधुओ की भी जिम्मेदारी है। वह इस प्रॉपर्टी को अपना ही समझे और उसी भाव से इसकी देखरेख करें। कहीं टूट जाता है तो मरम्मत कराएं।
ताकि भविष्य में भी इसी प्रकार से ऐसे ही बना रहे। व्यापारी बंधुओं की सुविधाओं के लिए नगर पालिका की ओर से कार्य भी प्रारंभ दिए जाएंगे। यहां शौचालय की व्यवस्था नहीं है, उसे भी बनाया जाएगा, पार्किंग व्यवस्था को भी सुदृण करने के लिए पार्किंग व्यवस्था कराई जा रही है, जिससे जाम की समस्या से निजात मिल सके, लेकिन एक कमी देखने को मिलती है कि शहर में साफ-सफाई का अभाव रहता है। यह केवल नगर पालिका की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सभी नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वह सड़क पर कूड़ा ना फैलाएं एक स्थान चुनकर कूड़ा वहां इकट्ठा करें, समय अनुसार सफाई कर्मी जब भी आएगा वहां से कूड़ा उठाकर ले जा सके। इस प्रकार की जिम्मेदारी व्यापारी बंधु उठा लेंगे तो निश्चित ही शहर साफ सुथरा रहेगा और सफाई व्यवस्था भी कायम रहेगी औ बीमारियां भी नहीं फैल सकेंगी। सरकारी प्रॉपर्टी के रखरखाव की जिम्मेदारी भी नागरिकों की ही होती है, इसे अपना ही समझना चाहिए। जिले में 2 घंटाघर हैं एक बदायूं नगर में और दूसरा उझानी में है। दोनों ही जगह की साफ-सफाई एवं पुताई कर इनकी मरम्मत करा दी गई है। नगर पालिका की ओर से लाइटिंग की भी व्यवस्था कर दी गई है। घंटाघर जगह की पहचान होते हैं। विभिन्न जनपदों के घंटाघरों की तरह यह भी घंटाघर भी आपके जिले की पहचान है। व्यापारी एवं दुकानदार बंधु इसकी प्रति जिम्मेदारी समझे और इसे संजो कर रखें।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने कहा कि जब बदायूँ पोस्टिंग के आदेश मुझे मिले थे, बदायूँ या इसके आसपास के क्षेत्र में मेरी कभी पोस्टिंग नहीं रही है तो बदायूं का नाम सुनते ही मेरे मन में जो सबसे पहले उभरकर आया, वह शकील बदायूनी साहब का नाम था। ज्यादातर सभी लोग हिंदी फिल्मों के गाने सुनने के शौकीन हैं, इससे पहले जब डीएम साहब के साथ जब मैं शकील बदायूँनी पार्क आया था तो काफी दुख हुआ कि इतनी बड़ी शख्सियत, व्यक्तित्व के नाम पर पार्क बना हुआ है यह तो खुशी की बात है लेकिन जो इसकी स्थिति थी वह अच्छी नहीं थी। जीर्णोद्धार कराकर इसका उद्घाटन अब हुआ है इसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं पुरानी धरोहरों एवं व्यक्तित्व को याद रखना जरूरी है ऐतिहासिक धरोहरों की मेंटेनेंस को भी अपने दिमाग में रखना चाहिए यह हम सभी की जिम्मेदारी है। इस अवसर व्यापारीगण व अन्य लोग उपस्थित रहे।