- Mohd Zubair Qadri
केन्द्र की नई गाइडलाइंस जारी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बताना होगा, पहला मैसेज किसने भेजा

खबर देश। नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने ओटीटी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और न्यूज वेबसाइट्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। गुरुवार को कानून और न्याय, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद व केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई गाइडलाइंस के बारे जानकारी दी। केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सोशल मीडिया कंपनियों को अब ये बताना होगा कि मैसेज की शुरुआत कहां से हुई।
प्रसाद ने कहा, कंटेट कहां से शुरू हुआ, यह सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा। भारत की संप्रभुता, कानून व्यवस्था, हिंसा आदि के बारे में पहले किस व्यक्ति ने ट्वीट किया? ऐसे अपराध जिनकी सजा पांच साल से अधिक है, उनमें यह जानकारी देनी होगी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को स्वैच्छिक वैरिफिकेशन यूजर का ऑप्शन देना होगा।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकार ने आईटी डिजिटल मीडिया ऐथिक्स कोड के दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भारत में कारोबार करने के लिए स्वागत है, लेकिन उन्हें भारत का संविधान और कानून मानना होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सवाल पूछने और आलोचना करने के लिए हो सकता है। सोशल मीडिया ने आम लोगों को ताकत दी है, लेकिन वे इसके गलत इस्तेमाल के लिए जवाबदेह हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, नए नियमों से सोशल मीडिया के यूजर्स को ताकत मिलती है। उनकी शिकायतों का समय पर और सही निदान हो सकेगा। ये नियम कंपनियों के भीतर ही लागू होंगे। कंपनियां सेल्फ रेगुलेशन की मदद से एक मजबूत शिकायत निदान व्यवस्था का गठन करेंगे।
पत्रकारिता और रचनात्मक आजादी बरकरार
मंत्री ने जोर देते हुए कहा, गाइडलाइंस में पत्रकारिता तथा रचनात्मक आजादी को बरकरार रखा गया है। प्रस्तावित फ्रेमवर्क प्रगतिशील, उदार तथा सामयिक है। यह लोगों की शिकायतों और चिंताओं का ध्यान रखता है। वहीं रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी सम्मान करता है। ये दिशानिर्देश थिएटर, टीवी और इंटरनेट पर देखने में अंतर को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं।
मंत्री ने जानकारी दी कि भारत में वॉट्सएप के 53 करोड़, यूट्यूब के 44.8 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इंस्टाग्राम के 21 करोड़ और ट्वीटर के 1.75 करोड़ यूजर हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा, 11 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मद्देनजर गाइडलाइंस बनाने को कहा था। राज्यसभा में 2017 में फेक न्यूज पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी हुआ। सभी सांसदों ने मुझसे कहा था कि इसे रोकने के लिए कदम उठाए जाएं। इसके बाद हमने व्यापक विचार विमर्श किया। इसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे।
72 घंटे में करनी होगी कार्रवाई
मंत्री ने कहा, शिकायत पर केंद्र सरकार के नोटिस के 72 घंटे के अंदर कार्रवाई करनी होगी। टेक कंपनियों को शिकायत अधिकारी की नियुक्ति कंपनी के भीतर करनी होगी। कंपनियों को चीफ कंपलायंस ऑफिसर, कानूनी एजेंसियों से तालमेल के लिए एक नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति करनी होगी। इसके साथ ही हर छह महीने में शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी।
कंटेंट क्यों हटाया, बताना होगा
नई गाइडलाइंस के मुताबिक अगर किसी यूजर का कंटेट हटाया जा रहा है या उसका एक्सेस रोका जा रहा है, तो उसे बताना पड़ेगा कि ऐसा क्यों हुआ। रविशंकर ने कहा, हम तीन महीने में इसे लागू करेंगे। बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और छोटे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में अंतर किया गया है, ताकि छोटे प्लेटफॉर्म को भी बढ़ने का अवसर दिया जा सके और उनके ऊपर रेगुलेशन कम रहे। ये भारत के सोशल मीडिया स्टार्टप को बड़ा बनाने में मदद करेगा।
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, अखबार को प्रेस काउंसिल का कोड पालन करना पड़ता है। टीवी वाले को केबल एक्ट पालन करना पड़ता है, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए एक्ट नहीं है। मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सभी प्लेटफॉर्म के लिए एक जैसे नियम होने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों की ओर से इस बारे में लगातार मांग की जा रही थी। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर संसद में इस सत्र में 50 प्रश्न पूछे गए। हमने ओटीटी प्लेटफॉर्म के साथ चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में चर्चा की। मैंने कहा कि आप टीवी वालों की तरह सेल्फ रेगुलेशन करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैंने फिर कहा कि 100 दिन में बनाओ, लेकिन नहीं हुआ, इसलिए हमने तय किया कि एक फ्रेमवर्क होना चाहिए।
ओटीटी के लिए ये होंगे नियम
जावड़ेकर ने कहा, ओटीटी के लिए तीन स्तर का फ्रेमवर्क होगा। ओटीटी और वेबसाइट को अपना डिसक्लोजर देना होगा। मंत्री ने कहा, हम रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं कर रहे, जानकारी मांग रहे हैं, ताकि शिकायत दूर करने का मैकेनिज्म हो। उन्होंने कहा, ओटीटी पर सेल्फ रेगुलेशन होगा। सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ज जज या विशिष्ट व्यक्ति की अध्यक्षता में शिकायत सुनवाई के लिए बॉडी बने।
जावड़ेकर ने कहा, सेंसर बोर्ड का ऐथिक्स कोड कॉमन रहेगा। डिजीटल मीडिया पोर्टल को अफवाह झूठ फैलाने का अधिकार नहीं है। मीडिया की आजादी की जवाबदेही होनी चाहिए। उस आजादी के दायरे में यह नियम बनाए गए हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा, सभी सोशल मीडिया का स्वागत है, लेकिन डबल स्टैंडर्ड नहीं होना चाहिए।