
बदायूं। मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी ने सभी को दी ईद की मुबारक़बाद देते हुए कहा फ़ैली बबा के चलते लॉकडाउन का पालन करते रहे और कहा ऐसी ईद जिसका तस्व्वुर भी नही किया था। लॉकडाउन नाफ़िज़ रहा-रमज़ान का मुक़द्दस महीना आया और गुज़र गया।एहले ईमान ने अल्लाह की रज़ा और खुशनूदी के लिए रोज़े रक्खें कुछ इज्तेमाई इबादतों और नेकियों से मजबूरी के चलते ज़रूर महरूमी रही मगर खुदनुमाई से बचकर तन्हाइयों मे भी खुदा के नेक बन्दों ने खूब इबादते कीं और अल्लाह से बख्शीश तलब की।
इसी बीच इज़ाफ़ी, additional इज्तेमाई, इबादतों और नेकियों का मौक़ा मिला जिसका खुश नसीबो ने फायदा उठाया. आज ईद का दिन हैं यानि ख़ुशी और अल्लाह से इनाम पाने का दिन मगर हालात की इस मजबूरी के साथ की मस्जिदों, ईद गाहों पर फ़रज़न्दाने तौहीद का पाक़ीज़ा और नूरानी इज्तमा नहीं हो सकेगा,गरम जोशी से गले मिलने और मुसाफा करने का मौक़ा हासिल नहीं हो सकेगा यानी हम सब की ज़िन्दगी की ऐसी पहली ईद होगी, के जीते रहो, खुश रहो, तुम्हारी ज़िन्दगी का हर लम्हा ईद हो जाये, ये सब मुबारक और बेशक़ीमत ख़ुलूस और जज़्बात से भरी हुई दुआएँ और गले मिलकर एक दूसरे को पेश किये जाते थे. वो सब फासलो पर रहकर कहना और सुनना होगा. एक ऐसी भी ईद होगी ऐसा तो कभी तसव्वुर भी नहीं किया था।
ईद की मुसर्रतोशादमानी और हालात की महरूमियों, मजबूरियों के दरमियान से उभरने वाले शदीद और लतीफ जज़्बातो एहसासात, पुरनम आँखों और भरे दिल के साथ तमाम अज़ीज़ो अक़ारिब, मुख्लिसों दोस्तों, छोटों, बड़ों और बिरादराने वतन को ईद की दिली मुबारक़बाद।