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जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिन्दी पखवाड़ा समारोह ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया


खबर देश। नई दिल्ली. जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिन्दी दिवस पखवाड़ा चल रहा है. 14 सितंबर का दिन केंद्र सरकार के सभी संस्थानों के लिए बहुत ही अहम होता है क्योंकि इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है. विदित हो कि संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकार किया था. इसी के मद्देनज़र जामिया के राजभाषा हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा हिंदी पखवाड़ा समारोह का आयोजन दिनांक 01 सितंबर 2020 से 15 सितंबर 2020 तक ऑनलाइन माध्यम से किया जा रहा है.


आज के कार्यक्रम में वक्ता के रूप में साहयक निर्देशक, केन्द्रीय हिंदी निर्देशालय से डॉ नूतन पांडेय जी थी, जबकि मुख्य अतिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा थी. कार्यक्रम का संचालन जामिया के हिंदी अधिकारी डॉ राजेश कुमार माँझी ने किया|


कार्यक्रम में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ जय प्रकाश नारायण, सोशल वर्क विभाग की अध्यक्ष अर्चना दस्सी न्यूजीलैंड से सुनीता नारायण और कई छात्र मौजूद थे.


हिन्दी अधिकारी डॉ राजेश कुमार माँझी ने कार्यक्रम में शामिल सभी मेहमानों का स्वागत किया और वक्ता डॉ नूतन पाण्डेय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी पखवाड़ा समारोह में डॉ नूतन जी का जामिया स्वागत करती है. उन्होंने डॉ नूतन पाण्डेय का परिचय देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के आगरा से तालुक रखने वाली डॉ नूतन जी तीन भाषा में स्नाकोत्तर की उपाधी धारण की है.हिन्दी में पीएचडी किया है. इसके अलावा बंगला और संस्कृत भाषा भी जानती हैं.


साहयक निर्देशक, केन्द्रीय हिंदी निर्देशालय की डॉ नूतन पाण्डेय ने मॉरिशस के हिन्दी साहित्य पर बोलते हुए कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि लगभग 250 देशो में हिन्दी बोली जाती है. हिन्दी को कोने कोने तक पहुंचाने में विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों का महत्वपूर्ण योगदान है. जब भारत के बाहर हिन्दी की बात करते हैं तो बहुत से देशों में हिन्दी तेजी से बढ़ रही है. मॉरिशस एक ऐसा देश है जहाँ भारत के बाद हमारी हिन्दी भाषा और हमारी संस्कृति फल फूल रही हैं. मॉरिशस के भारतवंशी अपने पुरखो के रीती रिवाज को आज भी जिन्दा रखे हैं. मॉरिशस की ऑफिसियली भाषा अंग्रेजी है,लेकिन इसके बावजूद हमारी हिन्दी भी बहुत प्रचलित है. मॉरिशस में 1909 में हिन्दुस्तानी पत्रिका के नाम से तीन भाषाओँ में गुजराती, हिन्दी और अंग्रेजी में प्राकशित होती थी. 1935 से 1938 तक दुर्गा पत्रिका निकलती थी, जो पूर्णरूप से हस्तलिखित थी. वैसे तो बहुत सारे हिन्दी के लेखक हुए, लेकिन मॉरिशस के सबसे बड़े हिन्दी साहित्य के लेखक अभिमन्यू भरत थे. जिन्होंने कहानी संग्रह, नाटक और कविता लिख चुके हैं. उनकी सबसे चर्चित उपन्यास लाल पसीना जो 1977 में लिखी थी. आगे बोलते हुए डॉ नूतन पाण्डेय ने कहा कि भारत के बाद मॉरिशस ही ऐसी जगह है जहाँ आपसी सद्भाव और भाईचारा है. कार्यक्रम के अंत में बोलते हुए डॉ नूतन पाण्डेय ने कहा कि हमारे नये साहित्यकारों से आग्रह है की वो खूब पढ़े और लिखे.उन्होंने जामिया कुलपति, हिन्दी विभाग की अध्यक्ष, हिन्दी अधिकारी और कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को धन्यवाद दिया.


जामिया हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा ने आज के कार्यक्रम के समापन पर कहा कि परम सम्मानीय कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर और कुलसचिव एपी सिद्दीकी के सरंक्षण में सफलपूर्वक कार्यक्रम हुआ. उन्होंने कहा कि बहुत ही बेहतरीन तरीके से डॉ नूतन जी ने मॉरिशस के हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकगण और शोधार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि भारत के बाद सबसे ज्यादा हिन्दी मॉरिशस में ही बोली जाती है. अगर भारत के बाहर भारत की संस्कृति देखनी हो तो मॉरिशस से बेहतर कोई मुल्क नहीं होगा| उन्होंने आगे कहा की मॉरीशस में "हिंदी प्रचारिणी" सभा के नाम से एक संस्था की स्थापना की गई जिसका आदर्श वाक्य है भाषा तो संस्कृति की नींव है अगर भाषा गई तो संस्कृति गई |इस सफलपूर्वक कार्यक्रम का पूरा श्रेय जामिया की कुलपति, कुलसचिव, जामिया की हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा, हिन्दी अधिकारी डॉ राजेश कुमार और डॉ दीपक पाण्डेय को जाता हैं. जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया|

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