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  • Mohd Zubair Qadri

दिल्ली मामले में पत्रकार मोहम्मद जुबैर को मिली जमानत, अभी रहना होगा जेल में


खबर देश। ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक पत्रकार मोहम्मद जुबैर को एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट मामले से संबंधित एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी। इस मामले में उन्हें पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बता दें कि, मोहम्मद जुबैर ऑल्ट न्यूज नाम से फैक्ट चेकिंग वेबसाइट चलाते हैं। उन पर कथित फैक्ट चेकिंग के नाम पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है।


पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला की अदालत ने शुक्रवार को जुबैर को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके एवं इतने ही रुपये मूल्य के जमानती के आधार पर जमानत दी है।


अदालत ने कहा कि वह न्यायिक अधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते। इससे पहले गुरुवार को अदालत ने अभियोजन व बचाव पक्ष दोनों पक्षों की दलीलें खत्म होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।


दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस स्तर पर जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बिना किसी पक्षपात के मामले में जांच अच्छी गति से चल रही है। दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि जुबैर के संगठन को 56 लाख रुपये मिले, इस संगठन में जुबैर निदेशक है। यह मामला एफसीआरए का उल्लंघन का है। पुलिस का कहना था कि उन्होंने रेजर पे को नोटिस दिया है। इस मामले में एक निश्चित जालसाजी भी हो सकती है, जिसकी जांच चल रही है। बैंक का नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है।


पुलिस का आरोप है कि यह सुनियोजित और चतुराई से किया गया। दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि यह उतना आसान नहीं है जितना जुबैर के वकील ने पेश किया है। अतुल श्रीवास्तव ने सत्र न्यायालय के समक्ष कहा कि जुबैर ने ट्वीट के माध्यम से एक समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। उन्होंने कहा, "हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं और उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए हनुमान जी की तुलना हनीमून से की है।" जुबैर की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस के विदेशी फंडिंग के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि यह 56 लाख रुपये विदेशी फंडिंग से प्राप्त नहीं हुए हैं। बैंक में पैन कार्ड लगा है, अन्य दसतावेज हैं। पुलिस जांच कर सकती है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जुबैर को जमानत देने का फैसला सुनाया है।


जुबैर पर लगे हैं आरोप


दिल्ली पुलिस ने पत्रकार जुबैर के खिलाफ धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने का इरादा के तहत मामला दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की तीन नई धाराएं- 201 (सबूत नष्ट करने के लिए- फोन और डिलीट किए गए ट्वीट), 120-(बी) (आपराधिक साजिश के लिए) और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की 35 धाराएं भी बाद में प्राथमिकी में जोड़ी थीं। इससे पहले सोमवार को जुबैर ने एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट से संबंधित एक मामले में अपने खिलाफ दर्ज दिल्ली प्राथमिकी में जमानत की मांग करते हुए सत्र न्यायालय में जमानत याचिका दायर की थी। 2 जुलाई को मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने बचाव पक्ष के वकील और दिल्ली के लिए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही जुबैर को जेल भेजने के आदेश दिए थे।


गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने बीते माह 27 जून को मोहम्मद जुबैर को दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153/295 के तहत केस दर्ज किया था।


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