
बदायूं। मौलाना डॉ यासीन अली उस्मानी की अपील अगर अल्लाह त आला ने आपको साहिबे निसाब बनाया है तो हर हाल में ज़कात अदा किजिए। पाई पाई का हिसाब करके ज़कात निकाले और हक़दारो तक पहुंचाने की कोशिश किजिए। ज़कात अदा से आपका माल और दिल पाक़ होगा, और खैरो बरकत भी होगी। हमदर्दी और ख़ैर ख़्वाही के जज़्बात भी परवान चढ़ेंगे। समाज से ग़ुरबत और फ़ाक़ाकशी दूर होगी और खुशहाली आम होगी औऱ क़यामत के दिन अल्लाह के रास्ते मे अल्लाह के बंदों पर अपने मालो दौलत से ज़्यादा ख़र्च करने वाले साहिबे खैर लोगो को अल्लाह जो क़ुर्ब नसीब होगा इस हदीस से अंदाजा लगाइए और मौजूदा परेशान कुन हालात में रमज़ान के इस मुक़द्दस महीने में अल्लाह की राह में ज़कात, खैरात, सदक़ात और अतयात के ज़रिए दिल खोल कर ख़र्च कीजिए। "सखी अल्लाह के करीब है,जन्नत से करीब है लोगो सर क़रीब है औऱ दोज़ख से दूर है। औऱ बखील (कंजूस) अल्लाह से दूर है, जन्नत से दूर है, लोगो से दूर है आग से क़रीब है। जाहिल सखी अल्लाह तआला की तरफ बखील आबिद से ज़्यादा महबूब है।