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  • Mohd Zubair Qadri

Rabi-Ul-Awwal 2020: घर घर हुआ चरागा सरकार आगये है जगमगा उठा सारा ज़माना सरकार आगये है


बदायूं। रबी-उल-अव्वल शरीफ इस्लाम में सबसे ख़ास माना जाता है रबी-उल-अव्वल का चाँद दिखते ही लोगों में ख़ुशी सी दौड़ जाती है। हर वर्ष विश्व भर में पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत मनाई जाती है। जिले में हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते एक ओर सतर्कता भी बरतना है तो वही लोग अपने अपने घरों में चरागा व सजावट कर रहे है खानकाहे क़ादरिया में काज़ी ए जिला के साहबज़ादे अतीफ मिया क़ादरी ने दिए रोशन करके ख़ुशी का इज़हार किया। तो वही आपको बताते चले पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत हिजरत के बाद मदीना मुनव्वरा से हुई। इस्लामिक कैलेंडर का हर महीना चांद से शुरू होता है। जैसे ही चांद दिखता है, वैसे ही नया महीना शुरू हो जाता है। यानी हर महीना एक नए चंद्र चक्र के साथ शुरू होता है 1442 सिन हिजरी चाँद की 12 तारीख शुक्रवार को पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत मनाई जाएगी।


रबी उल अव्वल का नाम इस तरह से रखा गया है क्योंकि पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म (मिलाद उन नबी) होने से पहले, लोग अज्ञानता और अंधेरे में जी रहे थे। वे विभिन्न देवताओं मानते थे। वे अल्लाह के मार्ग से भटक रहे थे। जैसे ही पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ, वह अपने साथ सत्य का संदेश, अल्लाह का संदेश लेकर आए। इस संदेश ने लोगों को आत्मज्ञान के मार्ग की ओर अग्रसर किया, जिससे उन्हें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद मिली और जो गलत राह पर चल रहे थे आपकी विलादत होते ही भटके हुए सही गलत का फर्क जाने और सीधा रास्ता अपनाया।


पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूर्णता का प्रतीक हैं। इस्लाम समुदाय के लोग एक आदर्श जीवन शैली का नेतृत्व करने के लिए उनकी सुन्नत का पालन करते हैं, जो न केवल धर्म द्वारा परिभाषित किया गया है, बल्कि वास्तव में सभी मानव जाति के लिए फायदेमंद है।


रबी उल अव्वल का महीना इस्लाम में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि मुसलमान समुदाय का मानना ​​है कि पवित्र पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म भी इसी महीने में हुआ था, मुसलमान अक्सर इसे रबी उल अव्वल के 12वें दिन मनाते हैं, जिसे अक्सर ईद मिलाद उन नबी के नाम से जाना जाता है। पैगंबर का जन्म पूरे विश्व में मुसलमानों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। बहुत सारे मुसलमान पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की याद में पूरे महीने मिलाद रखते हैं और ख़ुशी मनाते है।

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