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  • Mohd Zubair Qadri

शब-ए-बारात पर इबादत कर मस्जिद में नमाज पढ़कर अल्लाह से गुनाहों की मांगी माफी


बदायूं। इबादत व मगफिरत की रात शब-ए-बारात मंगलवार को अकीदतमंदों ने पूरी रात इबादत में मशगूल रहें और दूसरे दिन अर्थात बुधवार को रोजा भी रखा जिले भर में शब-ए-बारात का त्योहार अकीदत के साथ मनाया गया। मुस्लिम अकीदतमंद रातभर नमाज, तिलाबत, और दुआओं में मशगूल रहे।


कब्रिस्तानों में मुस्लिमों ने फातिहा पढ़कर अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए अल्लाह से दुआ मांगी। इशा की नमाज के बाद जिले के कब्रिस्तानों में फातिहा पढ़ने का सिलसिला चलता रहा। इसके बाद रातभर मस्जिदों में नफली व क़ज़ा उमरी नमाज पड़ने, कुरान पाक की लिताबत और गुनाहों से माफी के लिए रब से रो-रोकर दुआएं मांगी गई।


मीराजी साहब के मौलाना फैसल ने बताया कि शब-ए-बारात पर्व पर जिलेभर में अकीदतमंद रात भर इबादत करते रहे और अपने पूर्वजों और रिश्तेदारों की कब्रों पर पहुंचकर अपने पूर्वजों को इसाले सबाव के लिए फातेहा पढ़ी। महिलाओं ने घरों में रात भर इबादत की। अगले दिन मुस्लिम समाज की महिलाओं व पुरुषों ने रोजा रखा। इस पर्व पर सभी मुस्लिम अकीदतमंद रातभर अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की इबादत करते रहे। मुसलमानों का रमजान शरीफ से 15 दिन पूर्व मनाया जाने वाला अत्यन्त महत्वपूर्ण यह शब है। मौलाना ने बताया कि हदीस के मुताबिक दुआ-ए-मगफिरत की रात में ईश्वर मानव के आगामी वर्ष का भाग्य तय करता हैं। इस रात अल्लाह रहमत के दरवाजे खोल देता है और हर उस शख्स को बख्श देता है जो शिर्क करने वाला न हो। इस रात में हर शख्स को कुरान की तिलावत में समय गुजारना चाहिए।



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