- Mohd Zubair Qadri
सपा के सिनोद ने पर्चा वापस लिया, भाजपा के वागीश पाठक का निर्विरोध MLC बनना तय

यूपी बदायूं। भाजपा के वागीश पाठक का बदायूं से निर्विरोध एमएलसी बनना तय हो गया है। बदले राजनीतिक घटनाक्रम में उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी पूर्व विधायक सिनोद शाक्य ने पर्चा वापस ले लिया।
बुधवार दिन में तीन बजे सिनोद के हस्ताक्षर वाला पत्र लेकर उनके अभिकर्ता मोहम्मद आजम कलक्ट्रेट पहुंचे और पर्चा वापस कराने के बाद चुपचाप चले गए। इसके साथ ही भाजपा के वागीश पाठक का निर्विरोध एमएलसी बनना तय हो गया और भाजपा खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। सिनोद शाक्य के इस कदम से सपा खेमा हैरान है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सिनोद या उनकी पत्नी सुनीता शाक्य 2024 में बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी भी हो सकते हैं। इसी क्रम में यह कदम उठाया गया है।
एमएलसी चुनाव के लिए सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन था। इससे एक दिन पहले ही सपा ने पूर्व विधायक सिनोद शाक्य को प्रत्याशी बनाया था। सोमवार को पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, पूर्व राज्यमंत्री ओमकार सिंह, सपा जिलाध्यक्ष प्रेमपाल पाल सिंह यादव, विधायक आशुतोष मौर्य, विधायक हिमांशु यादव, विधायक ब्रजेश यादव समेत सपा नेताओं के साथ कलक्ट्रेट पहुंचकर उन्होंने नामांकन दाखिल किया था। सिनोद ने नामांकन के बाद अपनी सौ प्रतिशत जीत का दावा भी किया था। 22 मार्च को जांच में उनका नामांकन वैध पाया गया। नाम वापसी 24 मार्च तक हो सकती थी। उससे पहले ही बुधवार को सिनोद ने पर्चा वापस लेकर सबको चौंका दिया। मैदान में भाजपा के वागीश पाठक और सपा के सिनोद शाक्य दो ही प्रत्याशी थे। सिनोद के पर्चा वापस लेने के बाद वागीश पाठक का निर्विरोध एमएलसी बनना तय है।
सिनोद शाक्य 2007 और 2012 में बसपा के टिकट पर दातागंज विधानसभा से विधायक चुने गए थे। 2017 में वह भाजपा के राजीव कुमार सिंह से हार गए। सिनोद की पत्नी सुनीता शाक्य भी बसपा के टिकट पर 2014 में आंवला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव के दौरान जून 2021 में ही वह सपा में शामिल हुए थे। सपा ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ाया, लेकिन वह जीत न सकीं। चर्चा है कि सिनोद शाक्य मंगलवार को लखनऊ में थे। यहां उनकी बड़े भाजपा नेताओं से बात हुई। तड़के ही वह बदायूं लौटे और बुधवार दोपहर पर्चा वापस ले लिया। इसे सपा खेमे के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है।
अब भाजपा में शामिल होने की अटकलें
सिनोद शाक्य के अब भाजपा में शामिल होने की अटकलें हैं। हालांकि फिलहाल उनका मोबाइल रेंज के बाहर जा रहा है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि भाजपा ने उन्हें भविष्य में अन्य पदों पर होने वाले चुनाव में मौका देने का आश्वासन दिया है।
ऐतिहासिक होगी भाजपा की जीत
एक रिकार्ड यह भी है कि बदायूं में कभी भाजपा का एमएलसी नहीं बन सका। जबकि सपा का गढ़ कहे जाने वाले बदायूं में अब इस पद पर झंडा उठाने वाला भी नहीं बचा है। कहने को यहां तीन विधायक सपा के हैं लेकिन प्रत्याशी का पर्चा वापस लेना पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव का कद गिराने जैसा है।