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  • Mohd Zubair Qadri

सिंबल न मिला तो सपा में लग सकती है इस्तीफों की झड़ी नामांकन में केवल एक दिन बचा है


समाजवादी पार्टी की ओर से निकाय चुनाव में सिंबल न देने की बात पर सपाइयों में गुस्सा है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सिंबल न मिलने की दशा में नामांकन की अंतिम तारीख के बाद तमाम नेता पार्टी छोड़ सकते हैं, इसका सीधा असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।


सपा में इस बार निकाय चुनाव में सिंबल न देने की जो अफवाह उड़ी, वह अब सही साबित होती नजर आ रही है। नामांकन में केवल एक दिन बचा है लेकिन अब तक प्रत्याशियों की घोषणा न होने से इस बात को और बल मिल रहा है।


पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार इस संबंध में बैठक कर आगामी रणनीति बना रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिंबल न देने की दशा में नामांकन की तारीख बीतने के बाद या तो सामूहिक इस्तीफे दिए जा सकते हैं या फिर कोई और कदम उठाया जा सकता है। जो भी हो, इससे सपा का नुकसान तय माना जा रहा है। खासकर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इसे बड़े नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है।

बदायूं को सपा का गढ़ माना जाता है। लोकसभा क्षेत्र में आने वाले गुन्नौर में चूंकि यादवों की संख्या अच्छी खासी है, इसलिए यहां से सपा को हमेशा बढ़त मिलती रही है। इसके अलावा जिले का मुस्लिम भी सपा का ही पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है।


पिछले चुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को भले ही भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने शिकस्त दे दी हो लेकिन वह यादव-मुस्लिम गठजोड़ की बदौलत ही दो बार बदायूं से सांसद चुने गए थे। निकाय चुनाव में सिंबल न देने के बाद मुस्लिम वोट भी सपा से छिटककर दूसरी पार्टियों में चला जाएगा, इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता।


बसपा और कांग्रेस में बढ़ी हलचल

सपा से सिंबल न देने की बात के बाद बसपा और कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। दोनों पार्टियों की नजर शहर के मुस्लिम मतदाताओं पर जम गई है। दोनों पार्टियों के नेताओं का मानना है कि सपा द्वारा सिंबल न देने का लाभ उन्हें मुस्लिम मतदाताओं के वोट के रूप में मिल सकता है। ऐसे में उन्होंने मुस्लिमों से संपर्क भी साधना शुरू कर दिया है।


दो विधायकों का नाम आ रहा सामने

पार्टी के तमाम नेता सिंबल न देने की बात के लिए पार्टी के ही दो विधायकों की राजनीति बता रहे हैं। एक नेता ने बताया कि दोनों विधायक ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गुमराह कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साधे हैं। उन्होंने मीडिया का फोन ही रिसीव करना बंद कर दिया है।

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