- Mohd Zubair Qadri
मस्जिदों में अलविदा की नमाज हुई अदा मांगी मुल्क में शांति, सौहार्द, तरक्की व भाईचारे की दुआ

बदायूं। शहर भर की मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई। नमाज के बाद मांगी मुल्क में शांति, सौहार्द, तरक्की व भाईचारे की दुआ भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच शुक्रवार को मस्जिदों में अलविदा की नमाज हुई। नमाज के चलते मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़ उमड़ी। नमाज के बाद मुल्क में शांति, सौहार्द, तरक्की व भाईचारा रखने की दुआएं मांगी गई।
नमाज- ए- अलविदा जुमा को लेकर मुस्लिम मोहल्लों में आज सुबह से ही चहल-पहल देखी गई। खास कर बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया। छोटे-छोटे बच्चे आज नए-नए कपड़े पहन कर नमाज-ए-अलविदा जुमा अदा की। अलविदा जुमा की नमाज अदा करने के लिए नमाजी पूर्वाह्न 11 बजे से ही मस्जिदों में दाखिल होने लगे थे। अलविदा जुमा के अवसर पर जकात व फितरा मांगने वालों की भीड़ सभी मस्जिदों के पास देखी गई।
वहीं रमजान- उल -मुबारक महीने के दौरान पढ़ी गई कुरआन- ए- पाक को बख्शवाया। अलविदा जुमा के अवसर पर उपस्थित नमाजियों को संबोधित करते हुए जामा मस्जिद के इमाम साहब ने कहा कि आज हम सभी रमजान- उल- मुबारक को अलविदा कहने के लिए इकट्ठा हुए हैं। हम सभी लोगों को सिर्फ रमजान-उल- मुबारक को अलविदा कहना है न कि नमाज को। उन्होंने कहा कि जिस तरह रमजान- उल- मुबारक के दौरान लोग खुदा की इबादत करने के साथ ही नमाज अदा करते थे। उसे जारी रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर मुसलमान को जकात व फितरा निकाल कर गरीबों में तकसीम करनी चाहिए। ताकि गरीब व असहाय लोग भी खुशी-खुशी ईद का त्योहार मना सकें। उन्होंने कहा कि जो शख्स अपने माल का जकात निकालता है। उसका माल पाक व साफ हो जाता है। साथ ही उसके माल में बरकत होती है। उन्होंने कहा कि जो रोजेदार सदका-ए- फितर अदा नहीं करता है। उसका रोजा आसमान व जमीन के बीच लटका रहता है। उसका रोजा खुदा की राह में कबूल नहीं होती है।
रमजान के महीने में रहमतों की बारिश होती है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। साथ ही जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं। इसके अलावा शैतान को कैद कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि रमजान का महीना खुदा का पसंदीदा व महबूब महीना है। अलविदा जुमा अदा करने के बाद लोगों ने खुदा से दुआएं की।